चिराग कुमार पासवान, एक भारतीय राजनेता और पूर्व अभिनेता, का जन्म 31 अक्टूबर 1982 को बिहार के खगड़िया जिले में हुआ था। वे स्वर्गीय रामविलास पासवान के पुत्र हैं, जो एक प्रमुख दलित नेता और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक थे। चिराग ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है और वर्तमान में वे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
चिराग पासवान की माता का नाम रीना शर्मा है, जो एक पंजाबी हिंदू और पूर्व एयर होस्टेस थीं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहार में पूरी की। इसके बाद, उन्होंने उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, लेकिन तीसरे सेमेस्टर में पढ़ाई छोड़ दी। उनकी स्कूली शिक्षा दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से हुई। बचपन से ही उनकी रुचि अभिनय में थी और उन्होंने स्कूल और कॉलेज के दौरान कई नाटकों में हिस्सा लिया।
पारिवारिक पृष्ठभूमि:
चिराग पासवान का परिवार बिहार की राजनीति में गहरा प्रभाव रखता है। उनके पिता, रामविलास पासवान, एक दिग्गज राजनेता थे, जिन्होंने कई केंद्रीय मंत्रालयों में कार्य किया। उनकी सौतेली माँ राजकुमारी देवी (रामविलास पासवान की पहली पत्नी, जिनसे 1981 में तलाक हो गया) हैं। उनकी बहन निशा पासवान हैं, जिनके पति अरुण भारती भी LJP (रामविलास) से जुड़े हैं। रामविलास पासवान की पहली पत्नी से उनकी सौतेली बहनें आशा पासवान और उषा पासवान भी हैं। चिराग पासवान अविवाहित हैं। उनके चाचा पशुपति कुमार पारस और रामचंद्र पासवान भी राजनीति में सक्रिय थे। 2022 में, पशुपति कुमार पारस ने LJP से अलग होकर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया, जिससे परिवार में राजनीतिक विभाजन हुआ।
फिल्मी करियर:
अभिनय के प्रति अपनी प्रारंभिक रुचि के कारण, चिराग ने 2011 में बॉलीवुड फिल्म “मिली ना मिली हम“ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। इस फिल्म में उनकी सह-कलाकार कंगना रनौत, नीरू बाजवा और सागरिका घाटगे थीं। हालांकि, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही, जिसके बाद चिराग ने अभिनय छोड़कर राजनीति में प्रवेश करने का निर्णय लिया।

राजनीतिक करियर का उदय:
चिराग पासवान ने 2014 में जमुई लोकसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के सुधांशु शेखर भास्कर को 85,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया। 2019 में, उन्होंने जमुई सीट से फिर से जीत हासिल की, इस बार उन्हें 528,771 वोट मिले।
2020 में, अपने पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद, चिराग ने LJP की कमान संभाली और बिहार विधानसभा चुनाव में “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” अभियान शुरू किया। इस अभियान का उद्देश्य बिहार के विकास और युवाओं के सशक्तिकरण पर केंद्रित था।
2021 में, पार्टी में आंतरिक कलह के कारण चिराग को उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने लोकसभा में LJP नेता के पद से हटा दिया, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी का विभाजन हुआ। इसके बाद चिराग ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का गठन किया।
2024 के लोकसभा चुनाव में, चिराग ने हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और 6,15,718 वोटों के साथ शानदार जीत हासिल की। इस जीत ने उन्हें बिहार की राजनीति में एक मजबूत युवा नेता के रूप में स्थापित किया। वर्तमान में, चिराग पासवान भारत सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के केंद्रीय मंत्री हैं।

नेटवर्क और संगठन:
चिराग “चिराग का रोजगार” नामक एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) भी चलाते हैं, जो बिहार के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए काम करता है। LJP (रामविलास) के अध्यक्ष के रूप में, वे बिहार में दलित वोटों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी राजनीतिक रणनीति में 2014 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन महत्वपूर्ण रहा, जिसके कारण LJP ने सात में से छह सीटें जीतीं।
संपत्ति और उपलब्धियां:
चुनावी हलफनामे के अनुसार, चिराग पासवान की कुल संपत्ति 2.68 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें 1.66 करोड़ रुपये की चल संपत्ति शामिल है।
उनकी उपलब्धियों में 2012 में स्टारडस्ट अवॉर्ड प्राप्त करना और राम मंदिर निर्माण के लिए 1.11 लाख रुपये का दान देना शामिल है। वे बिहार की राजनीति में एक युवा और प्रभावशाली नेतृत्व के रूप में उभरे हैं।
विवाद:
चिराग पासवान के राजनीतिक करियर में कुछ विवाद भी रहे हैं। 2021 में उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ LJP में विभाजन एक बड़ा विवाद था। इसके अतिरिक्त, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग होने का उनका निर्णय, जिसके कारण उनकी पार्टी को नुकसान हुआ, भी एक विवादास्पद कदम था।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाएं:
चिराग पासवान वर्तमान में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के केंद्रीय मंत्री और हाजीपुर से सांसद हैं। वे बिहार की राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल हैं और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने की योजना बना रहे हैं। चिराग पासवान बिहार के युवा और दलित मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने और अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।