Ahoi Ashtami 2025 हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है जो विशेष रूप से संतान की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं संतान की रक्षा और सुख की कामना के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं। यह व्रत दिवाली से ठीक आठ दिन पहले आता है और कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
Ahoi Ashtami 2025 Date and Time
वर्ष Ahoi Ashtami 2025 व्रत बुधवार, 15 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन अष्टमी तिथि का प्रारंभ 15 अक्टूबर 2025 को सुबह 11:20 बजे से होगा और समाप्ति 16 अक्टूबर 2025 को सुबह 09:48 बजे पर होगी। व्रत और पूजा 15 अक्टूबर की शाम को की जाएगी।
पारंपरिक पूजा मुहूर्त:
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अहोई अष्टमी पूजा का शुभ समय: शाम 5:52 PM से 7:08 PM तक
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तारों के दर्शन का समय: लगभग 7:00 PM
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चंद्र दर्शन का समय: रात 8:25 PM (कुछ स्थानों पर)
Ahoi Ashtami Vrat Katha
कहा जाता है कि एक बार एक महिला अपने बच्चों के लिए जंगल में मिट्टी खोदने गई थी। गलती से उसने एक शावक (सिंहनी का बच्चा) को घायल कर दिया जिससे वह मर गया। उस पाप के कारण उसके सातों पुत्र काल के गाल में समा गए। जब उसने भगवान से क्षमा मांगी तो उसे कार्तिक कृष्ण अष्टमी का व्रत रखने का निर्देश दिया गया। उसी दिन से यह व्रत अहोई माता की पूजा के रूप में मनाया जाने लगा।
How to Perform Ahoi Ashtami Puja
सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को तारों के दर्शन के बाद जल ग्रहण करती हैं। दीवार पर अहोई माता की प्रतिमा बनाई जाती है या फोटो लगाई जाती है। दूध, फल, हलवा-पूरी और सुई-धागा पूजा में चढ़ाया जाता है। पूजा के बाद कथा सुनकर संतान की कुशलता की कामना की जाती है।
Significance of Ahoi Ashtami
Ahoi Ashtami 2025 व्रत का महत्व मातृत्व और संतान की सुरक्षा से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत रखने से संतान की आयु बढ़ती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। यह व्रत न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए शुभ माना गया है।
Ahoi Ashtami 2025: Do’s and Don’ts
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इस दिन सिलाई-कढ़ाई या किसी भी तेज़ औज़ार का उपयोग न करें।
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पूरे दिन सात्विक भोजन का पालन करें।
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व्रत के दौरान झूठ या कठोर शब्दों से बचें।
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पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है।
Conclusion
Ahoi Ashtami 2025 व्रत का धार्मिक और पारिवारिक दोनों ही दृष्टि से अत्यंत महत्व है। यह व्रत माताओं के लिए अपने बच्चों के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। सही विधि से पूजा करने और व्रत रखने से परिवार में शांति, संतान सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
Disclaimer:
इस ब्लॉग में दी गई तिथि और समय पंचांग एवं ज्योतिषीय गणना पर आधारित है। क्षेत्र अनुसार समय में थोड़ा अंतर संभव है।
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