खूबसुरती की तारीफ करो उसे कुचलो या मसलो मत।

DESK:- प्रसंशा हरएक को रुचिकर लगती है। तारीफ के दो शब्द व्यक्ति के मनोबल को नई ऊँचाईयां प्रदान करते हैं। अतः स्वयं की तारीफ सुनने के सभी भूखें होते हैं।

सुंदरता एक प्रकृति-प्रदान प्रतिभा है, और उससे धनी लोग भी मन ही मन अपनी सुंदरता की प्रसंशा आपके मुख से सुनना चाहते हैं। ना सुनकर वे निराश होते हैं। यकीन मानों, इससे भी अधिक दुख उन्हें तब होता है जब तारीफ सही ढ़ंग से ना की जाये। शब्दों का गलत चयन अक्सर हमपर उल्टा पड़ जाता है। मुझे मालूम है, कि आप इनको ना निराश देखना चाहेंगे और ना ही दुखी। मेरा यह लेख आपको इन हालातों से उबरने में मददगार साबित होगा।

फिल्मी गानों, और उर्दू गानों में भी सुंदरता की तारीफ सही शब्दों में करने के बेमिसाल गुर मिलते है। इतने, कि इसे ‘अति’ कहना अतिशयोक्ति नही होगी। मेरी सलाह तो यही होगी कि इन्हीं में से अपनी पसंद का कुछ छांट लिया जाय। रुचि के अनुरूप इस विषय का प्रतिनिधित्व करने वाले कुछ गाने ये होंगें:

●चंदन सा बदन, चंचल चितवन;
चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो;
●तुमको देखा तो ये खयाल आया, की जिंदगी धूप और तुम घना छाया… आदि।
उदाहरण इतने हैं कि हर मौके और रुचि के अनुसार मसाला मिल ही जायेगा। आप चाहें तो ‘तारीफ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया’ जैसे हाहाकारी गाने भी छांट सकते हैं।

अब बात करते हैं, उर्दू साहित्य की। इसमें से भी सुंदरता की तारीफ करने के एक से एक नायाब तरीके खोजे जा सकते हैं। इसी तरह के कुछ उदाहरण ये रहे:

●हैराँ हुए न थे जो तस्व्वुर में भी कभी, वे तस्वीर हो गए तेरी तस्वीर देखकर।
●कुछ तो हुश्न भी तेरा है सादा वो मासूम बहुत, कुछ प्यार भी मेरा शामिल है तेरी तस्वीर में।
●ऐ मेरे माहे कामिल (पूरा चाँद) फिर आशकार (प्रगट) हो जा, उकता गई है तबीयत तारों की रोचनी से।
●मुझे दुनिया की ईदों से क्या मतलब है गालिब, मेरा चाँद दिख जाता है मेरी ईद हो जाती है।

पूरा साहित्य इसी तरह के उदाहरणों से भरा पड़ा है। आप चाहें तो ट्रकों के पीछे लिखी नये जमाने की शायरी में से भी कुछ छाँट सकते है। उदाहरण स्वरूप ‘पान खाकर क्यों लबों को लाल करते हो, मेरे इस बेचारे दिल को हलाल करते हों।’

Rishikesh Ranjan

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